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बलिया, पूर्वांचल के रास्ते मिशन लखनऊ! Mission Lucknow, Hindi Article on UP Election 2017

Mithilesh's Pen
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पिछले कुछ दिनों से उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल में बड़ी राजनीतिक गहमागहमी रही है. ऐसा लाजमी भी है क्योंकि, उत्तर प्रदेश के एक बड़े क्षेत्र को कवर करने वाले पूर्वांचल को अनदेखा करने का रिस्क कोई राजनीतिक पार्टी नहीं ले सकती है और अब जबकि सूबे में चुनाव आने को ही हैं, तब इस क्षेत्र की बात और भी ख़ास हो जाती है. निश्चित रूप से भारत के प्रधानमंत्री देश के सक्रीय राजनेताओं में गिने जाते हैं और पूर्वांचल के बलिया पहुंचकर उन्होंने जिस ‘उज्ज्वल योजना’ की शुरुआत की, उसे राजनीतिक रूप से एक जबरदस्त कदम भी माना गया, किन्तु समाजवादी पार्टी के युवा सीएम अखिलेश यादव भी पहले से तैयार थे और उन्होंने यह कहकर एक तरह से ‘मास्टरस्ट्रोक’ चल दिया कि ‘मोदीजी ने तो गरीबों को गैस-सिलिंडर ही दिया है, किन्तु उसमें गैस भरवाने का इंतजाम यूपी सरकार करेगी! चूंकि, उज्ज्वल योजना का प्रभाव पूरे देश में है, तो प्रधानमंत्री का ‘मजदूर न.1’ का भाषण देश भर में चर्चित भी रहा. परन्तु, क्या यह कम बड़ी बात है कि अखिलेश के ‘काउंटर अटैक’ की भी व्यापक स्तर पर चर्चा हुई, प्रदेश में भी और राष्ट्रीय मीडिया में भी! थोड़ा राजनीतिक आंकलन करें तो, दुसरे प्रदेशों में यह बात साफ़ नज़र आती है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दूसरे नेताओं से राजनीतिक बढ़त में ‘वाकओवर’ ले लेते हैं, किन्तु उत्तर प्रदेश में उनका ‘घोड़ा’ रोक ही देते हैं अखिलेश! बलिया की जनसभा में भी कुछ ऐसा ही दिखा. खैर, इन राजनीतिक दावों और चालों के बीच एक बात स्पष्ट रूप से नज़र आती है कि उत्तर प्रदेश के पिछड़े क्षेत्रों में गिने जाने वाले पूर्वांचल को अहमियत जरूर मिल रही है. बलिया की ही बात करें तो, बड़े नेताओं की आवाजाही से इस क्षेत्र की समस्याओं को काफी तवज्जो मिली है.

विभिन्न चैनलों पर स्पेशल प्रोग्राम चलाये गए हैं, जिसमें चीनी मीलों और गन्ना किसानों की दिक्कतों के साथ-साथ, क्षेत्र में रोजगार की समस्या, स्वास्थ्य एवं शिक्षा की दिक्कतें और विकास की पटरी से इस क्षेत्र की दूरी की तरफ भी ध्यान दिलाया गया, तो नेताओं का ध्यान इस तरफ गया भी! अगर पूर्वांचल के एक मुख्य जिले बलिया की ही बात करें तो अखिलेश यादव ने यहाँ कुछ बड़ी परियोजनाओं की घोषणा की, जिससे बिहार की सीमा से लगे इस ज़िले के लोगों में ख़ुशी की लहर दौड़ गयी है. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने बलिया के बसंतपुर में विश्वविद्यालय एवं स्पोर्ट्स काॅलेज का शिलान्यास करने के साथ-साथ बलिया की जनता को बधाई दी कि उनकी मांग पर पूर्व प्रधानमंत्री स्व. चन्द्रशेखर के नाम पर यह विश्वविद्यालय बनने जा रहा है. जाहिर है बलिया की पहचान रहे स्व.चन्द्रशेखर की स्मृति को इस तरह से जीवंत रखने का निर्णय लोगों के दिलों को छू गया होगा तो इसके निर्माण से हज़ारों नौजवान लाभान्वित होंगे ही. इसी क्रम में कुछ दूसरी परियोजनाओं की बात करें तो, मुख्यमंत्री ने सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सोनबरसा (बैरिया) की क्षमता बढ़ाकर 100 बेड करने, गंगा नदी में नौरंगा के पास शिवपुर घाट पर पक्के पुल के निर्माण, एनएच-31 बैरिया से सुरेमनपुर रेलवे स्टेशन तक के मार्ग का चौड़ीकरण व सुदृढ़ीकरण, विधान सभा क्षेत्र बैरिया के विकास खण्ड रेवती के ग्राम गोपालनगर में राजकीय हाईस्कूल की स्थापना, बैरिया विधान सभा क्षेत्र में गंगा/घाघरा नदी से पम्प कैनाल स्थापित कर सिंचाई की व्यवस्था मजबूत करने के प्रति अपना संकल्प दुहराया है यूपी के सीएम ने.

आप बेशक इन घोषणाओं को छोटी या क्षेत्रीय घोषणाएं कहें, किन्तु इन प्रयासों से ही नेता जन-जन में लोकप्रियता को प्राप्त करता है और यह बात अखिलेश यादव बखूबी समझ चुके हैं. इसी कड़ी में, विधान सभा फेफना, सागरपाली से थम्हनपुरा बैरिया नरही मार्ग के पुनर्निर्माण, विधान सभा फेफना के ही धर्मापुर से गोसलपुर बन्धा मार्ग के पुनर्निर्माण, फेफना के उजियार में 50 बेड का अस्पताल के निर्माण की अखिलेश यादव की घोषणा महत्वपूर्ण कही जा सकती है तो विधान सभा सिकंदरपुर के घाघरा नदी के खरीद-दरौली घाट पर पक्का पुल बनाने एवं विधान सभा बेल्थरा रोड पर अग्निशमन केंद्र की स्थापना, बेल्थरा रोड तहसील पर पुलिस क्षेत्राधिकारी कार्यालय के कार्यालय की स्थापना तथा विधान सभा बेल्थरा रोड में घोषित भीमपुरा को यथाशीघ्र विकास खण्ड का दर्जा दिए जाने की भी घोषणा बेहद महत्त्व की एवं जनता को राहत पहुंचाने वाली है. कहा जा सकता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘उज्जवला योजना’ की घोषणा करके गरीबों को धुएं के चूल्हे से मुक्ति दिलाने का जो भावनात्मक शमां बाँधा था, अखिलेश यादव उसमें मजबूती से सेंध लगाने में सफल रहे हैं! कुछ और भी घोषणाएं अखिलेश यादव ने की, जो आने वाले समय में न केवल उनके वोट बैंक को मजबूत करेंगी, बल्कि उनका सफल कार्यान्वयन पूर्वांचल के इस महत्वपूर्ण ज़िले की तस्वीर भी चमकदार बनाकर रख देगा. सोनौली-बलिया राजमार्ग का चौड़ीकरण, बलिया बाईपास (फेफना, गडवार, सुखपुरा बांसडीह मार्ग) का लोकार्पण, गाजीपुर बाॅर्डर से मुड़ेरा होते हुए रसड़ा तहसील मुख्यालय तक मार्ग का चौड़ीकरण एवं गाजीपुर-बलिया प्रमुख जिला मार्ग का चौड़ीकरण पूर्वांचल में एक मजबूर यातायात सुविधा को बनाने में बड़ी भूमिका निभा सकते हैं.

हालाँकि, इन समस्त योजनाओं का सफल क्रियान्वयन भी मुख्यमंत्री को सुनिश्चित करना होगा, अन्यथा ठेकेदार और अधिकारियों की मिलीभगत अखिलेश यादव के किये धरे पर पानी फेर देगी. इसी क्रम में, मुख्यमंत्री ने लखनऊ से बलिया गाजीपुर को जोड़ते हुए समाजवादी पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे का जिक्र करते हुए कहा कि यह मार्ग भी जल्द ही बनेगा. बताते चलें कि इसके लिए बजट में डेढ़ हजार करोड़ रुपये की धनराशि का प्रावधान पहले ही किया गया है, जो 4-लेन की सड़क बनाए जाने में उपयोगी रहेगी. सीएम की दूरदर्शी सोच को हम इस बात से ही समझ सकते हैं कि उनकी योजना सड़क के किनारे मण्डियां बनाने की भी है, जिनका सीधा लाभ किसानों को मिलेगा. अखिलेश यादव के अनुसार राज्य सरकार द्वारा छात्र-छात्राओं को 17 लाख निःशुल्क लैपटाॅप अब तक उपलब्ध कराए गए हैं. जाहिर है इतनी बड़ी संख्या में यह लैपटाॅप ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले विद्यार्थियों के लिए वरदान साबित हुए हैं और तकनीक के प्रति उनमें व्याप्त संकोच को समाप्त भी किया है. हालाँकि, कई लोग प्रदेश में बिजली की काम उपलब्धता का व्यंग्य करने से नहीं चूकते हैं, किन्तु ऊर्जा की बढ़ती जरूरत सिर्फ राज्य सरकार किस प्रकार पूरा कर सकती है, यह सोचने वाली बात है. अगर ऐसा होता तो अमेरिका से असैन्य परमाणु समझौता ही क्यों होता! जाहिर है, ऊर्जा की जरूरतों के लिए केंद्र सरकार को असाधारण प्रयास करने की आवश्यकता है तो राज्य सरकारों को भी इस मामले में बिजली चोरी और ‘एलईडी टेक्नोलॉजी’ का प्रयोग बढ़ाने की आवश्यकता है. हालाँकि, अखिलेश यादव ने इस सम्बन्ध में भी अपनी सफाई दी और कहा कि राज्य सरकार द्वारा बिजली व्यवस्था ठीक करने के सन्दर्भ में सबसे अधिक ट्रांसमिशन लाइनों व सबस्टेशनों का निर्माण प्रदेश में किया गया है, तो शहरों में 20 घण्टे और गांवों में 14 घण्टे बिजली पहुंच भी रही है. हालाँकि, इस मामले में कहा जा सकता है कि अखिलेश सरकार को और भी प्रयास करने की आवश्यकता है. मुख्यमंत्री ने पूर्वांचल में इस बात का ज़िक्र करके खूब वाहवाही बटोरी कि समाजवादी पेंशन योजना से अब 55 लाख गरीब परिवारों की महिला मुखिया को लाभान्वित किया जा रहा है. बताते चलें कि अकेले बलिया में ही 65 हजार से अधिक परिवारों को इस योजना का लाभ दिया गया है. इस योजना में पारदर्शिता का ज़िक्र करते हुए सीएम ने ज़ोर देकर कहा कि पेंशन का पैसा सीधे लाभार्थियों के खाते में पहुंच रहा है, ताकि बीच में कोई गड़बड़ी न कर सके. अखिलेश यादव के कुछ और बेहतर प्रयासों में, किसानों को उनकी उपज का अच्छा मूल्य मिल सके, इसके लिए आलू, आम, दूध, अनाज की मण्डियों का निर्माण एक प्रमुख कदम कहा जा सकता है.

चूंकि, अखिलेश यादव अब एक चतुर, मगर विनम्र राजनेता की खूबियां ग्रहण कर चुके हैं और इसी के तहत, इस कार्यक्रम में युवा मुख्यमंत्री ने लोहिया आवास के स्वीकृति-पत्र, समाजवादी पेंशन के प्रमाण-पत्र वितरण के साथ-साथ, कन्या विद्याधन के चेकों और श्रमिकों को साइकिल का भी वितरण किया. थोड़ा ध्यान से आंकलन करें तो स्पष्ट होता है कि राज्य में चुनाव को महज 10 माह ही शेष हैं, ऐसे में यूपी के पूर्वांचल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के हाई प्रोफाइल दौरे ने बलिया जैसे शहर को चर्चाओं का केंद्रबिंदु बना दिया है. एक तरफ प्रधानमंत्री मोदी ने गरीबी से ग्रसित बलिया में गरीब वर्ग के लिए फ्री गैस सिलेंडर योजना लांच की, वहीं अखिलेश यादव ने कहा कि वे इन फ्री सिलेंडर को भराने के लिए धन उपलब्ध कराएंगे. जाहिर है जनता का हित होना चाहिए और इस मामले में अखिलेश यादव पब्लिक की नब्ज़ पकड़ने की हर संभव कोशिश में लगे हैं. प्रदेश की राजनीति में आने वाले चुनावों में इस बात का भी फैसला होगा कि पहले गठबंधन युग और उसके बाद बसपा और फिर सपा को चांस देने वाला उत्तर प्रदेश राजनीति में उठापठक को जारी रखता है अथवा फिर अखिलेश यादव को ही विकासपुरुष के मामले में दोबारा मान्यता देता है. दिलचस्प जंग से पहले की तैयारियां हर ओर से हो रही हैं और मतदाता सावधानी से सबके ‘कार्यों और विनम्रता’ का जायजा भी ले रहा है, इस बात में दो राय नहीं!

– मिथिलेश कुमार सिंह, नई दिल्ली.

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