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दिल्ली मेट्रो की सुरक्षा में सेंध है खतरनाक

Mithilesh's Pen
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दिल्ली में रहने वाले हजारों लोग जब सुबह -सुबह काम के सिलसिले में बाहर निकलते हैं तो सफर के लिए उनकी पहली होती है दिल्ली मेट्रो! भीड़ होने के बावजूद मेट्रो का सफर सहज, आरामदायक और सुरक्षित माना जाता रहा है तो दिल्ली जैसे बड़े महानगर का ‘खून जलाऊ’ ट्रैफिक से मुक्ति भी देता है. यह कहना गलत न होगा कि मेट्रो दिल्ली की जान है! कल्पना करना भी मुश्किल है कि आज के इस समय में दिल्ली में मेट्रो न हो तो ट्रैफिक का क्या हाल होगा! ISO 14001 की प्रमाणपत्र धारक दिल्ली मेट्रो के योगदान के बारे में ज्यादा कुछ कहने की जरूरत नहीं है, क्योंकि शुरूआती दौर से ही इसने दिल्ली के लोगों, खासकर मध्य वर्ग की भागमभाग लाइफस्टाइल में शहद घोलने का कार्य किया है. यही नहीं, सुरक्षा और पर्यावरण के हितों के प्रति भी दिल्ली मेट्रो सदा से सजग रही है, और तमाम वैश्विक मानकों का पालन भी इस प्रतिष्ठान ने किया है. इसी क्रम में, संयुक्त राष्ट्र ने दिल्ली मेट्रो को पहला “कार्बन क्रेडिट” 2011 में  दिया जो कि “स्वच्छ विकास तंत्र” योजना के तहत ग्रीन हाउस गैस में कमी लाने के लिए दिया जाता है. ये उपलब्धियां मेट्रो ने अपने सफल यातायात योजना के बलबूते हासिल किया है. दिल्ली मेट्रो की सफलता से प्रभावित होकर ही देश भर के दूसरे राज्य अब मेट्रो की तरफ आकर्षित हो रहे हैं. अगले कुछ सालों में अन्य राज्यों में भी मेट्रो की सुविधा उपलब्ध होगी, ऐसी उम्मीद की जा सकती है. हालाँकि, बढ़ती आबादी का बोझ और पुराने होते सिस्टम के साथ इसके जिम्मेदार अधिकारियों को और भी सजग होने की आवश्यकता महसूस हो रही है.

पूरी दुनिया में आतंकवाद ने दहशत फैला रखी है. कभी फ़्रांस के पेरिस तो कभी ब्रसल्स में आतंकी सैकड़ों लोगों की जानें ले रहे हैं. ऐसे में दिल्ली मेट्रो पर आतंकियों का ‘खास निशाना’ सदा से रहा है, इस बात से हमारी ख़ुफ़िया एजेंसियां कतई अंजान नहीं हैं. इस प्रकार की स्थिति में सुरक्षा व्यवस्था जहाँ और चाक-चौबंद होनी चाहिए, वहीं इसमें सेंधमारी तक हो जा रही है. पिछले कुछ सालों में मेट्रो की साख पर कई वाकयों ने धब्बे का कार्य किया है, इस बात में शक नहीं! आये दिन मेट्रो में चोरियां तो कभी पॉकेटमारी, मेट्रो के अंदर अश्लील हरकतों की वारदातें बढ़ती जार रही है. 2015 में एक व्यक्ति मेट्रो की सुरक्षा को धत्ता बताते हुए मेट्रो परिसर में बन्दुक लेकर घुस गया था और आत्महत्या करने का प्रयास भी उसने किया था. कई जगहों पर लोग आत्महत्या के इरादे से ट्रैक के आगे कूद जाते हैं, जिन्हें लेकर सुरक्षा इंतजामात और सख्त किये जाने की आवश्यकता है. इन सब घटनाओं को छोड़ भी दें तो अभी तुरंत की घटना है मेट्रो में दिन दहाड़े लूट की! हालाँकि पुलिस ने चोरों को पकड़ लिया है और पूछ-ताछ के दौरान पता चला है की लूटपाट में शामिल एक व्यक्ति मेट्रो का पुराना कर्मचारी रह चुका है, जिसे नौकरी के दौरान मारपीट करने के लिए निष्कासित किया गया था! अनुमान लगाया जा रहा है की मेट्रो का पुराना कर्मचारी होने के वजह से उस व्यक्ति को पहले से अंदाजा था कि कहाँ क्या व्यवस्था है, कैश कहाँ है, किस समय भीड़ कम रहती है, और कैसे वहां तक पहुंचा जा सकता है. जाहिर है, दुनिया की अधिकांश आतंकी घटनाएं इसी प्रकार की सिक्योरिटी-लीक के कारण से ही होती हैं. ज़रा कल्पना कीजिये, अगर आतंकी इस तरह के मामलों में सेंध लगा लें, तो कितना भयावह परिणाम हो सकता है? मेट्रो सुरक्षा में हुई भारी चूक के लिए कौन जिम्मेदार है, इस बात की जवाबदेही तय की ही जानी चाहिए! हमेशा से ही आतंकवादियों के मुख्य निशाने पर दिल्ली मेट्रो रही है, आतंकवादी तो दूर छोटे-मोटे चोरों को रोकने में भी मेट्रो के सुरक्षाकर्मियों ने जो लापरवाही दिखाई है, उससे बड़ी घटना को रोक पाने की उम्मीद कैसे की जा सकती है? दिल्ली मेट्रो की सुरक्षा की जिम्मेदारी दिल्ली पुलिस और सीआईएसएफ- CISF  (Central Industrial Security Force ) के जिम्मे है. CISF ने सुरक्षा के लिहाज से कुछ जरुरी कदम उठाये हैं जैसे, हुडा सिटी सेंटर, जहांगीरपुर लाइन और द्वारका सेक्टर 21, नोएडा सिटी सेंटर वैशाली लाइन पर करीब दो दर्जन स्टेशनों पर अत्यधिक सुरक्षा बढ़ा दी गयी है, और स्टेशनों में भी  सशस्त्र पहरा दिया जा रहा है. नए दिशा-निर्देशों के अनुसार यात्रियों को अब मफलर या मास्क के जरिए अपना चेहरा ढंकने की अनुमति नहीं होगी. हालाँकि मेट्रो परिसर में चेहरा ढकना पहले भी मना था, लेकिन सख्ती से इस बात का पालन नहीं होता था.

उम्मीद है अब इस पर सख्ती से अमल किया जायेगा. CISF के अधिकारी के अनुसार स्टेशनों पर शीशे की उंचाई बढ़ाकर करीब छह फुट किया जा रहा है ताकि किसी सामान का आदान प्रदान नहीं हो सके. यह एक बड़ा तथ्य हैं, क्योंकि कई बार लोग कस्टमर-केयर के पास आकर भीतर और बाहर के लोगों से बातचीत भी करते हैं और सामानों का लेनदेन भी करते हैं. ऐसे में मेट्रो की संवेदनशीलता को देखते हुए, इस बात का सख्ती से पालन होना चाहिए. राष्ट्रीय राजधानी और इसके पड़ोसी शहरों गाजियाबाद, नोएडा, फरीदाबाद और गुडगांव में चालू स्टेशनों की सुरक्षा के लिए सीआईएसएफ के करीब पांच हजार पुरुष और महिलाकर्मियों को तैनात कर रहा है. इसी क्रम में मिली जानकारी के अनुसार, मुख्य स्टेशनों पर सीसीटीवी (CCTV) कैमरों की संख्या बढ़ाने पर भी जोर दिया जा रहा हैं. हमारे माननीय प्रधानमंत्री जी मेट्रो में सफर कर के तथा विदेशो से आये मेहमानों को भी मेट्रो का सफर कराके गौरव का अनुभव करते है,  तो दूसरी तरफ ये लापरवाही हमें कही न कहीं शर्मिंदा भी करती है. उम्मीद करते हैं कि दिल्ली पुलिस और CISF के लोग मेट्रो की धूमिल हुयी प्रतिष्ठा को वापस लाने के लिए जी-जान लगा देंगे. केवल दुर्घटना के लिहाज से ही नहीं, बल्कि साफ़-सफाई के लिहाज से मेट्रो प्रशासन को और सख्ती बरतने की आवश्यकता हैं. ब्ल्यू लाइन के उत्तम नगर पश्चिम जैसे कई स्टेशन हैं, जहाँ एंट्री गेटों से प्रवेश करते समय आपके नथुनों में ‘पेशाब’ की गंध बारहों महीने जाएगी और इसकी शिकायत आप कहीं कर लें, कोई कार्रवाई होने की जिम्मेदारी कोई लेने को तैयार नहीं दिखता हैं. जाहिर हैं, प्रतिदिन 22 लाख से अधिक यात्रियों की सुविधा और उससे बढ़कर सुरक्षा में ज़रा सी चूक भी भयंकर परिणामों को जन्म दे सकती हैं. ऐसे में, क्यों न हम पहले से ही सबक लें और इस विश्व स्तरीय प्रतिष्ठान की प्रतिष्ठा में चार चाँद लगाएं!

मिथिलेश कुमार सिंह, नई दिल्ली.

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