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भारतीय वायुसेना की मजबूती और मानवीय दृष्टिकोण

Mithilesh's Pen
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रोज बदलती चुनौतियों में किसी भी देश के लिए उसकी वायुसेना का महत्त्व किसी भी अन्य सैनिक माध्यम की तुलना में काफी हद तक बढ़ गया है और इस क्रम में भारतीय सेना भी अपवाद नहीं है. हाल ही में भारतीय वायु सेना की चर्चा तब हुई जब अचानक ही दादरी के अख़लाक़ को भीड़ द्वारा दुर्भाग्यपूर्ण तरीके से मार डाला गया. अख़लाक़ के बेटे मोहम्मद सरताज वायुसेना में हैं और इस वक्त चेन्नई में तैनात हैं. इस दुर्घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए वायुसेना प्रमुख अरूप राहा ने कहा कि ऐसी घटनाएं क़त्तई स्वीकार नहीं की जा सकती हैं. राहा ने यह भी कहा कि हम परिवार के साथ संपर्क में हैं और उन्हें सुरक्षा की जो ज़रूरत है, हम उन्हें दे रहे हैं. भारतीय वायु सेना द्वारा अपने कर्मचारी के प्रति इस मानवीय रवैये ने इस संस्थान की साख को नयी ऊंचाइयां दी, इस बात में कहीं कोई दो राय नहीं है. इस घटना के कुछ ही दिनों बाद इंडियन एयर फ़ोर्स की ओर से देशवासियों को खुशखबरी दी गयी, जब भारतीय वायुसेना की 83वीं वर्षगांठ के अवसर पर एयर चीफ मार्शल राहा ने घोषणा करते हुए कहा कि हमारे यहां महिलाएं परिवहन विमान और हेलीकॉप्टरों को पहले से ही उड़ा रही हैं और अब भारत की युवा महिलाओं की महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने के लिए हम उन्हें लड़ाकू विमान ईकाई में भी नियुक्त करने की योजना बना रहे हैं. गौरतलब है कि देश की तीनों सेवाओं में से भारतीय वायुसेना पहली सेवा है, जिसमें महिलाओं को लड़ाकू शाखा में शामिल करने की योजना बनाई जा रही है. इससे पहले ये सैन्य सेवाएं महिलाओं को लड़ाकू भूमिका में लेने के विचार से सहमत नहीं थी. जाहिर है कि आधुनिकता के बदलते परिवेश में वैश्विक मानकों से सीख लेने की जरूरत थी, जो भारतीय वायुसेना ने ठीक समय पर किया. जब अफगानिस्तान जैसे देशों में हम देखते थे कि अमेरिकी एयर फ़ोर्स में महिलाएं पुरुष सैनिकों के साथ कंधे से कन्धा मिलाकर कार्य कर रही हैं तो निश्चित रूप से भारतीय सेनाओं को इससे प्रेरणा लेने की आवश्यकता थी.

हालाँकि, इसके पीछे तमाम व्यवहारिक कारण हैं, जिन्हें सुलझाने की आवश्यकता थी और इसकी तरफ कदम बढ़ाते हुए भारतीय वायुसेना ने नए युग की चुनौतियों से निपटने की दिशा में सराहनीय कार्य किया है. इस बात से भला किसे इंकार हो सकता है कि अगर वर्कप्लेस पर महिला और पुरुष की सहभागिता होती है तो बेहतर परिणाम आने की सम्भावना बढ़ जाती है. इससे सम्बंधित आंकड़ों की बात की जाय तो फिलहाल भारतीय वायुसेना सात क्षेत्रों में महिलाओं को तैनाती करती है. जो प्रशासन, साजो सामान, मौसम विभाग, नेविगेशन, शिक्षा, एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग-मैकेनिकल और इलेक्ट्रिकल विभाग और अकाउंट्स विभाग हैं. एयरफोर्स में इस समय लगभग 1500 महिलाएं तैनात हैं, जिसमें से 94 पायलट हैं और 14 नेविगेटर हैं. यह कदम भारतीय वायुसेना के समक्ष चल रही लड़ाकू विमान शाखा में अधिकारियों की कमी की समस्या से उबरने में भी मदद करेगा. वायुसेना दिवस के गरिमामय कार्यक्रम की बात की जाय तो गाजियाबाद के हिंडन बेस एयरफोर्स स्टेशन पर भारतीय वायुसेना की 83वीं वर्षगांठ के जश्न में  बड़े खेल सितारे सचिन तेंदुलकर भी शामिल हुए, जो भारतीय वायुसेना में मानद ग्रुप कैप्टन  हैं. वायुसेना ने सचिन को ये सम्मान 2010 में दिया था और यह सम्मान हासिल करने वाले सचिन तेंदुलकर पहले स्पोर्ट्सपर्सन हैं. वायुसेना के इस सम्मान का सचिन खुद बेहद सम्मान करते हैं, लिहाजा वे वायुसेना के सबसे बड़े आयोजन में शरीक होते हैं, वह भी वायुसेना की अपने यूनिफॉर्म में. सचिन तेंदुलकर के इस आयोजन में शरीक होने को फ़ोर्स के इस हिस्से के प्रति युवाओं के रूझान से जोड़ा जा सकता है. इससे पहले इस आयोजन के प्रति भारतीय प्रधानमंत्री अपना सम्मान जता चुके हैं. प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट करते हुए कहा कि मैं वायुसेना दिवस पर वायुसेना के हमारे जवानों को सलाम करता हूं, जिन्होंने हमेशा अदम्य साहस एवं प्रतिबद्धता से देश की सेवा की है. वायुसेना के योगदानों को याद करते हुए उन्होंने कहा कि हमारी वायुसेना हमेशा आगे रही है, फिर भले ही वह हमारी वायु सीमा की रक्षा का मामला हो या आपदाओं में मदद करने की बात हो. ठीक ही तो है, सीमाओं की रक्षा तो सेना के इस हिस्से का महत्वपूर्ण कार्य रहा ही है, मगर देश के आंतरिक हिस्से में कई आपदाओं के समय वायुसेना ने देशवासियों का जीवन रक्षण करने में प्रमुख भूमिका अदा की है. भारतीय वायुसेना की मजबूती की बात की जाय तो इस साल के अंत तक रफाल सौदे पर अंतिम मुहर लग जानी चाहिए. करीब पांच महीने पहले प्रधानमंत्री मोदी और फ्रांस के राष्ट्रपति के बीच 36 रफाल लेने को सहमति बनी थी, लेकिन कीमत को लेकर इस सौदे में कुछ दिक्कत आ रही थी, जिसे खबरों के अनुसार अब दूर कर लिया गया है. गौरतलब है कि वायुसेना रफाल जैसे और लड़ाकू विमान की करीब 6 स्कवाड्रन लेने पर विचार कर रही है, क्योंकि उसे मिग-21 और मिग-27 जैसे लड़ाकू विमान जल्द रिटायर करने हैं. पुराने विमानों का रखरखाव और दुर्घटनाओं को देखते हुए, निश्चित समय पर इनका रिप्लेसमेंट होना आवश्यक है, जिसकी ओर वायुसेना का भी ध्यान है.

एयरचीफ का मानना है वायुसेना की क्षमता को बनाए रखने के लिए जल्द ही ऐसे करीब 108 विमानों की दरकार होगी और इसी कारण से फ़्रांस के साथ साथ भारत दुसरे सक्षम देशों की ओर भी ऐसे सौदों के लिए हाथ बढ़ा रहा है, जिसमें इजरायल और संयुक्त राज्य अमेरिका प्रमुख हैं. ज़ाहिर है कि आने वाले समय में जिस प्रकार की वैश्विक चुनौतियां बढ़ रही हैं, उसमें वायुसेना का मजबूत होना और उससे भी आगे बढ़कर टेक्निकली अपग्रेड होना बेहद आवश्यक है और भारतीय वायुसेना ने तमाम जरूरी कदमों को उठकर यह साबित करने की कोशिश की है कि विश्व की सबसे मजबूत वायुसेनाओं में उसे यूं ही नहीं गिना जाता है, बल्कि वह इस सम्मान की उचित हकदार है. हालाँकि, वैश्विक मानकों पर देखा जाय तो भारतीय वायुसेना को अभी काफी कुछ करना बाकी है! एक अनुमान के मुताबिक़ विश्व की सबसे मजबूत वायुसेना अमेरिका की है तो दुसरे स्थान पर रसियन एयर फ़ोर्स है. इसके बाद इजरायल की वायुसेना और चौथे स्थान पर यूनाइटेड किंगडम की रॉयल एयर फ़ोर्स है. हमारा पडोसी और मजबूत प्रतिद्वंदी चीन वायुसेना की मजबूती में पांचवे स्थान पर खड़ा है, तो छठे स्थान पर फ़्रांस की वायुसेना और तब कहीं भारत का स्थान सांतवे नंबर पर आता है. ज़ाहिर है कि एक तरफ, अर्थव्यवस्था के मामले में हम विश्व में तीसरे स्थान पर खड़े हैं और पहले स्थान की ओर मजबूती से आगे बढ़ रहे हैं, वहीँ वायुसेना की सक्षमता को और बढ़ाने की आवश्यकता महसूस हो रही है. ऐसा भी नहीं है कि सिर्फ हथियारों की खरीद से ही हम उच्च क्रम में मजबूत हो जायेंगे, बल्कि स्वदेशी तकनीक भी इस क्षेत्र की बड़ी जरूरत है. देश में विकसित तेजस श्रेणी के विमानों के बावजूद और तेजी से डीआरडीओ के प्रयासों को बदलती रक्षा जरूरतों के मुताबिक बूस्टअप करने की आवश्यकता है. वायुसेना की मजबूती में हमसे जितने भी देश ऊपर हैं, उनकी तकनीक मुख्य रूप से स्वदेशी ही है और इस तथ्य से हमें सीख लेने की आवश्यकता है. हालाँकि, भारतीय खेमे में सुखोई-30 एमकेआई, मिराज-2000, मिग-29 और 27, जगुआर, सी-130 जे और सी-17 जैसे लड़ाकू विमानों की मौजूदगी हमारी वायुसेना को निश्चित रूप से विश्व स्तरीय बनाती है. इसके साथ, वायुसेना की लड़ाकू विंग में महिलाओं को शामिल करने से सेना के कल्चर में सुखद बदलाव आ सकता है, क्योंकि विमान उड़ाने और हवाई युद्ध करने के लिए जिस समर्पण, कंसंट्रेशन की आवश्यकता होती है, उसमें ट्रेंड महिलाएं अपने पुरुष साथियों को कड़ी टक्कर दे सकती हैं. उम्मीद की जानी चाहिए कि आने वाले समय में वायुसेना की मजबूती में हम शीर्ष पर काबिज़ होंगे… मानवीय भावनाओं के साथ! जी हाँ! यही तो भारतीय वायु सेना है… टचिंग दी स्काई विद ग्लोरी, या कह लीजिये नभः स्पृशम् दीप्तं!

– मिथिलेश कुमार सिंह, नई दिल्ली.

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