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बेस्ट अवार्ड

Mithilesh's Pen
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देश के बड़े न्यूज चैनल द्वारा घोषित यह अपनी तरह का पहला पुरस्कार था, इसलिए युवा गिरीश बेहद उत्साहित था. आखिर हिंदी सेवा के नाम पर पुराने धुरंधर और उनके जुगाड़ू चेले तमाम पुरस्कारों पर कब्ज़ा जमाये बैठे थे और वैसे भी ‘ब्लॉगिंग’ जैसे फिल्ड का साहित्य की दुनिया में क्या काम! हालाँकि, बदलते समय में ऑनलाइन दुनिया में गिरीश 25 साल की उम्र में ही जाना माना नाम बन गया था और उसके ब्लॉग पर न केवल भारी संख्या में विजिटर आते थे, बल्कि हिंदी में लिखने के कारण ‘सब्सक्राइबर्स’ की संख्या भी बढ़ती ही जा रही थी. न्यूज चैनल की वेबसाइट पर हिंदी दिवस के अवसर पर उसने ‘देश के सर्वश्रेष्ठ ब्लॉगर्स’ के लिए तत्काल आवेदन करते हुए अपने ब्लॉग की स्पेसिफिकेशन भी लिख दी, मसलन यूजर फ्रेंडली इंटरफेस, टेक्निकली एफिशिएंट, ऑनलाइन ब्लॉगर कम्युनिटियों द्वारा बेस्ट रैंकिंग, राजनीतिक सामाजिक मुद्दों पर अनवरत लेखन इत्यादि…
अब उसे बेसब्री से उस दिन का इन्तेजार था, जब विजेता ब्लॉगर्स के चयन की घोषणा होने वाली थी. .. उसकी इस बेचैनी को उसकी पत्नी ने भी भांप लिया और अति उत्सुकता से बचने हेतु उसने गिरीश से कहा कि आप तो इंटरनेट पर अपने क्षेत्र में बहुत आगे हैं, इन अवार्ड्स से कहीं आगे…
यद्यपि गिरीश भी अब तक इस तरह के अवार्ड्स को ज्यादा तवज्जो नहीं देता था, क्योंकि इसमें चापलूसी, गुटबाजी इत्यादि कलाओं से वह नफरत सी करता था. …
मगर जाने इस बार क्या बात थी कि वह अपनी उत्सुकता पर नियंत्रण रखने में विफल साबित हो रहा था.
तभी गिरीश की मोबाइल की घंटी बज उठी… झारखण्ड से कोई युवा था.
सर, मैंने नेट पर आपका हिंदी सम्मेलन और उसके प्रसार पर लेख पढ़ा, … सर मैं भी हिंदी के लिए कुछ करना चाहता हूँ!गिरीश, एक पल को अवार्ड के बारे में भूलकर फोन पर तल्लीनताHindi short story based on Awards and Audience से समझाता चला गया कि ऑनलाइन माध्यमों में ब्लॉग कैसे बनाया जाय, अपने ब्लॉग को सोशल मीडिया और सर्च इंजिनों से कैसे जोड़ा जाए… किस प्रकार हिंदी सुधारने के लिए ऑनलाइन एप्लीकेशनों का प्रयोग किया जाय …
फोन रखते ही गिरीश अपनी पत्नी को मुस्कुराते देखकर प्रश्नवाचक नजरों से देखने लगा!
पत्नी ने उसके बोलने का इन्तेजार किये वगैर कहा कि ‘आपका बेस्ट अवार्ड कौन है? वह पाठक जो आपसे फोन पर बात कर रहा था या वह जिसका आप इन्तेजार कर रहे हैं?’
मेरा पाठक! बरबस ही गिरीश के मुंह से निकला… !!
और दोनों एक दुसरे को देखकर हंस पड़े…
– मिथिलेश ‘अनभिज्ञ’

Hindi short story based on Awards and Audience,

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