हिन्दी हिन्दी मच रहा, चारों ओर अब शोर लगने लगा है हो रही, भाषा की अब भोर भाषा की अब भोर, ‘मोर’ नाचे बरसाती अंग्रेजी में आ रही, हिन्दी कार्यक्रम पाती सोच कहे ‘अनभिज्ञ’, उड़ाओ ना तुम चिंदी भाषा साहित्य हैं एक, यही कहती है हिन्दी
कामकाज में सरकारी, जब हिन्दी है अधिकारी सोचो समझो फिर बोलो, राष्ट्र भाषा क्यों बेचारी राष्ट्र भाषा क्यों बेचारी, जब इतने हैं ठेकेदार हीन कहें हिन्दीभाषी को, उससे करें दुर्व्यवहार हवा हवाई ना बनो, समझो क्या जरूरी आज बोलचाल लेखन के संग, हो हिन्दी में कामकाज
स्कूली शिक्षा जकड़ी, अंग्रेजी सौत के फंद जड़ बिन लड़के बन रहे, बुद्दू स्वार्थी बदरंग बुद्धू स्वार्थी बदरंग, करें परिवार से नफरत उनके इस व्यवहार से, भारतीयता है आहत ओल्डऐज विकृति आयी, एवं स्व संस्कृति भूली किस काम की शिक्षा है, ऐसी अंग्रेजीदां स्कूली
आओ तकनीक की ओर, ले चलें हिन्दी की डोर गुट और चापलूसी छोड़, सब मुड़ें प्रगति की ओर सब मुड़ें प्रगति की ओर, वरिष्ठ को मान मिले पर और जरूरी यह भी, युवा को स्थान मिले खिड़की खोलो भाषा की, शब्दकोष और बढ़ाओ ब्लॉग फेसबुक हर जगह, रत्न हिन्दी ले आओ
Kundaliya on Hindi by Mithilesh, kavita, hindi in schools, hindi in government offices, hindi in technology, vishwa hindi sammelan, hindi diwas, 14 september hindi, hindi in blogs, hindi in social media,
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