Menu
blogid : 19936 postid : 1075493

कॉर्पोरेट सहानुभूति

Mithilesh's Pen
Mithilesh's Pen
  • 361 Posts
  • 113 Comments
कैरियर के लिहाज से बेहद सफल थी मेहनाज और उससे भी मजबूत था उसका नेटवर्क. मीडियाकर्मी, कॉर्पोरेट पर्सनालिटीज, नेता और लॉबिस्ट से उसके गहरे संपर्क थे. कहना मुश्किल था कि उससे जुड़े लोग उसकी अथाह दौलत के पीछे थे या उससे लगाव रखते थे. खैर, जो भी हो उसकी ज़िन्दगी सरपट दौड़ती जा रही थी.
इस बीच उसके परिवार में किसी की हत्या हो गयी और शक की सुई घुमी मेहनाज़ पर.
गिरफ्तारी के बाद शक यकीन में तब्दील होने लगा और चूँकि मामला हाई प्रोफाइल था, इसलिए मीडिया में मेहनाज़ के पास्ट की परतें खुलने लगीं. एक के बाद एक लगातार चार शादियां, होटलों में छापों के दौरान कॉल गर्ल के रूप में पकड़ा जाना, सरकारी अधिकारियों के साथ अंतरंग संबंधों की पड़ताल होने लगी. जाहिर था, ऊंचाइयां छूने के लिए मेहनाज़ ने अनेक मर्यादाओं को कुचल डाला था. मामला कुछ यूं चला कि मेहनाज़ का बचाव मुश्किल होता जा रहा था.
अगले ही दिन, एक बड़े पत्रकार का इंटरव्यू छपा जिसमें मेहनाज़ की ज़िन्दगी पर उन महाशय ने प्रकाश डालते हुए कहा कि मेहनाज़ के बचपन में उसका शोषण हुआ था, इसलिए उसकी मानसिक दशा कुंठा का शिकार हो सकती है.
उसी दिन शाम को एक बड़े चैनल पर एक अन्य प्रभावशाली व्यक्ति कह रहे थे कि मेहनाज़ के पिता, बचपन में उसको बेरहमी से पीटा करते थे!
इन ट्वीस्ट से मीडिया की टीआरपी जहाँ आसमान छूने लगी, वहीं मेहनाज़ के प्रति ‘सहानुभूति’ का बीजारोपण होने लगा… या फिर किया जाने लगा… कॉर्पोरेट अंदाज में!!
– मिथिलेश ‘अनभिज्ञ’
Hindi short stories on managed sympathy, Corporate crime,
corruption, crime, police, murder, hindi short story, women, story, kahani, laghukatha, katha kahani, kahanikar

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh