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प्रॉपर्टी / फ्लैट खरीदते समय सावधानियां – Precaution should be taken at the time of purchasing flat, plot

Mithilesh's Pen
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घर बनाने का सपना लोगों में उस समय से ही घर करने लगता है जब वह शिक्षा ग्रहण करते हैं. उसी समय से ही घर की चाहत रखने वाले लोग एक-एक पैसा जुटाना शुरू कर देते हैं ताकि भविष्य में उनका सपना साकार हो सके. इस समय प्रॉपर्टी सबसे अधिक रिटर्न देने वाला निवेश बन चुका है. अगर आप भी चाहते हैं कि आपके पास भी अपनी प्रॉपर्टी हो तो इसके लिए जरूरी है कि आप एक जमीन का टुकड़ा याPrecaution should be taken at the time of purchasing flat, plot फ्लैट खरीदें. यहाँ समझना आवश्यक है कि प्रॉपर्टी कोई भी हो, उसकी कीमत इतनी तो होती ही है कि एक आम आदमी उस कीमत को जाेड़ने के लिए कई साल लगाता है. अगर बैंक लोन से भी प्रॉपर्टी खरीद रहे हैं तो आपको बैंक लोन की कीमत कई साल चुकानी पड़ेगी. जब इतना लम्बा समय पैसों की अरेंजमेंट में लगाना ही है तो खरीददारी के समय थोड़ी पूछताछ क्यों न कर ली जाय… अगर किसी हाउसिंग प्रोजेक्ट में निवेश कर रहे हैं ताे यह जानना जरूरी है कि उस प्रोजेक्ट को डिप्टी डायरेक्टर लोकल बाडीज डिपार्टमेंट की ओर से पास किया गया है या नहीं? लोन लेते वक्त भी बैंक से लोन की पूरी जानकारी ले लें. इससे आप ठगी से बच सकते हैं. बिल्डर द्वारा किया जाने वाला एग्रीमेंट ध्यान से पढ़ना जरूरी है. ये ध्यान रखें कि जो एग्रीमेंट के समय आपको सुविधाएं बताई जा रही हैं वो बिल्डर अपको तय समय में दे रहा है या नहीं! अगर आप किसी बड़े प्रोजेक्ट की बजाए ऐसी रिहायशी कॉलोनी में घर खरीद रहे हैं कि जहां इंडिविजुअल प्लॉट्स या मकान हैं तो इनमें किसी धोखे से बचने के लिए राजस्व विभाग से पहले ही पड़ताल कर लेना ठीक रहता है. पटवारी के पास प्रत्येक प्रॉपर्टी के बारे में रिकार्ड मौजूद रहता है. यह भी पता चल जाता है कि किस कॉलोनी में किस नंबर का प्लाट किसके नाम है, यह प्लाट कब से किसके नाम हैं. इसके अलावा भारमुक्त सर्टिफिकेट भी खरीददार से लेना भूलना नहीं चाहिए. इन जनरल पॉइंट्स के अतिरिक्त नीचे कुछ तकनीकी टिप्स दिए जा रहे हैं जो आपको धोखाधड़ी से बचाने में मदद कर सकते हैं:

नकली डॉक्यूमेंट (Fake documents): बहुधा प्रॉपर्टी खरीदने वाले व्यक्तियों को बाद में पता चलता है कि उन्हें नकली डॉक्यूमेंट दे दिया गया है और वह अपनी गाढ़ी कमाई खो देते हैं. इससे बचने के लिए सब रजिस्ट्रार ऑफिस से प्रॉपर्टी की वेरिफिकेशन फायदेमंद रहती है.

Precaution should be taken at the time of purchasing flat, plot, hindi articleप्रॉपर्टी पर लोन/ कर्ज (double mortgage /loan): प्रॉपर्टी खरीदने के लिए बहुधा लोग प्रॉपर्टी डीलर/ एजेंट के पास जाते हैं और वह उन्हें अच्छी लोकेशन पर जगह दिखाता है. फिर पैसे का लेन-देन होता है और प्रॉपर्टी खरीददार के नाम पर रजिस्टर भी हो जाती है. कुछ दिनों बाद पता चलता है कि प्रॉपर्टी पर बैंक-लोन लिया गया है. कई बार एक से ज्यादे बैंको का लोन भी प्रॉपर्टी पर होता है, जबकि प्रॉपर्टी बेचने के बाद फ्रॉड व्यक्ति फरार हो जाता है और खरीददार बेचारा कोर्ट केस के चक्कर में फंस जाता है. इस तरह के संदेहात्मक प्लाट और फ्लैट खरीदते समय बेहद सावधानी आवश्यक है.

मल्टिपल ‘जनरल पावर ऑफ़ अटॉर्नी’ (Multiple General Power of Attorney): प्रॉपर्टी खरीदने में आजकल पावर ऑफ़ अटॉर्नी का चलन है. यह एक के बाद दूसरी और फिर आगे तक एक लम्बी चेन बनती जाती है. कई बार एक ही प्रॉपर्टी की अलग अलग लोगों को पॉवर ऑफ़ अटॉर्नी कर दी जाती है. कई बार दो से भी ज्यादा दावेदार हो जाते हैं सम्बंधित प्रॉपर्टी का फ्रॉड करने वाला व्यक्ति देश छोड़कर फरार हो जाता है. इससे बचने के लिए सब रजिस्ट्रार ऑफिस से सम्बंधित व्यक्ति की ओनरशिप वेरीफाई करनी आवश्यक है.

अनधिकृत लेआउट (Unauthorized Layouts): कई बार ऐसी केस भी आती हैं, जब प्रॉपर्टी डीलर गवर्नमेंट की प्रॉपर्टी को ही अपना बताकर बेच देते हैं. नकली कागजात बनाना फ्रॉड लोगों के लिए आसान है. इस विषय पर एक फिल्म ‘खोसला का घोसला’ भी बन चुकी है. इससे बचने के लिए जमीन के बारे में लोकल इन्क्वायरी आवश्यक हो जाती है जैसे पड़ोसियों, गांववालों से पूछताछ इत्यादि.

कब्ज़ा (Encroachments): कई बार प्रॉपर्टी डीलर कब्ज़ा किये हुए प्लाट को बेच देते हैं और बाद में जब खरीददार उस प्लाट पर पहुँचता है, तब उसे पता चलता है कि उसने किसी और का कब्ज़ा किया हुआ प्लाट खरीद लिया है और नतीजा यह होता है कि वह हाथ मलता रह जाता है.

वेरिफिकेशन के लिए इन डाक्यूमेंट्स पर नजर डालिये (Important documents to verify for property purchase):

  1. अपने क्षेत्र की म्युनिसिपालिटी या सब रजिस्ट्रार ऑफिस से ओनरशिप जरूर वेरीफाई कीजिये और जरूरत पड़ने पर लोकल पूछताछPrecaution should be taken at the time of purchasing flat, plot, hindi article by mithilesh और कानूनी सलाह जरूर लीजिये.
  2. सभी डाक्यूमेंट्स पर हस्ताक्षर जरूर चेक करें और फिंगर प्रिंट्स के साथ वेरीफाई करें.
  3. पावर ऑफ़ अटॉर्नी लेते समय ध्यान दें कि जो व्यक्ति आपको दे रहा है, वास्तव में उसे इसका अधिकार है कि नहीं. जरूरत पड़ने पर एक दो स्टेप पीछे जाएँ और सीरीज चेक करें.
  4. लैंड यूज चेक करना जरूरी है कि वह असाइन लैंड है, भूदान लैंड है, एग्रीकल्चर लैंड है या इनाम लैंड है.
  5. ज़मीन पर किसी तरह का बकाया तो नहीं है, मसलन ULC , SRO, बिजली, पानी, सीवर बिल इत्यादि.
  6. विवादित जमीन के लिए, Bailiff (कन्सर्न्ड कोर्ट) अथवा माननीय हाई कोर्ट द्वारा अपॉइंट किये गए ‘Arbitrator’ से कंसर्न करें.

जमीन के क्लियर टाइटल को MRO ऑफिस से चेक करें और निम्नलिखित कॉपी जरूर कलेक्ट करें:

  1. पहनी कॉपी 1956 से
  2. प्रोसिडिंग ऑफ़ पट्टा पासबुक
  3. स्टाम्प ड्यूटी पूरा पेड करें
  4. प्रॉपर्टी की फिजिकल डिलिवरी टाइटल deed के साथ प्राप्त करें.

इन तमाम तकनीकी बातों के अतिरिक्त, आप को निम्नलिखित पॉइंट्स पर भी ध्यान देना चाहिए:

  • आप जिस इलाके में घर लेने की सोच रहे हैं उस इलाके की कीमतों को सबसे पहले समझें. साथ ही यह भी ध्यान रखें कि आप किस तरह के प्रोजेक्ट में घर ले रहे हैं. उदाहरण के लिए एक ही इलाके में ग्रुप हाउसिंग और बिल्डर फ्लैट की कीमतें अलग-अलग होती हैं. अगर ग्रुप हाउसिंग में घर ले रहे हैं, तो उस प्रोजेक्ट की सभी यूनिटों के रेट्स ले लें. फिर उनकी तुलना करें.
  • प्रॉपर्टी की खरीदारी में बैंक लोन की एक अहम् भूमिका होती है. कर्ज लेने से पहले बैंकों की ब्याज दरों की तुलना अवश्य कर लें . जो बैंक सस्ता लोन दे रहा हो, उसी से लोन लेने की कोशिश करें. कर्ज के लिए बैंक से संपर्क करते समय एक पत्र तैयार करें जिसमें आप अपनी जरूरत की राशि और उसके लिए हर महीने देने वाले किश्त का जिक्र जरूर करें. महीने की आमदनी तथा क़र्ज़ की अवधि का भी ब्योरा स्पष्ट रूप से रखें. जिस प्रोजेक्ट को केवल एक बैंक लोन कर रहा हो वहां बिल्डर के दबाव में घर खरीदनें से बचना चाहिए
  • घर खरीदने से पहले उसकी लोकेशन तय करने का पैरामीटर हमेशा अपनी रोजमर्रे की जरूरत को बनाएं. उस इलाके का इन्फ्रास्ट्रक्चर, बस अड्डे, रेलवे स्टेशन, मेट्रो, स्कूल, हॉस्पिटल, बाजार और अपने ऑफिस की कनेक्टिविटी के बारे में छानबीन कर लें . आधुनिक दौर में मॉल और मनोरंजन के दूसरे स्थल भी काफी मायने रखने लगे हैं. क्यूंकि प्रॉपर्टी की कीमतें अब इनके आधार पर भी तय होने लगी है.
  • इस तरीके से आप ज़मीन या फ्लैट में अपने निवेश को काफी हद तक सुरक्षित बना सकते हैं. उपरोक्त वर्णित टिप्स के अलावा, आप की सक्रियता, बड़े- बुजुर्गों से सलाह सोने पर सुहागा होती है. सक्रीय रहने से यह फायदा होता है कि यदि ज़मीन से सम्बंधित कोई छुपा तथ्य हो तो वह सामने आ जाता है.

प्रस्तुति – मिथिलेश कुमार सिंह, नई दिल्ली.

Precaution should be taken at the time of purchasing flat, plot

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