स्वास्थ्य मंत्री की बर्खास्तगी – Health Minister dismissal, Short Story by Mithilesh!
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देश में नयी सरकार का गठन हो चूका था. अलग अलग मंत्रालयों के लिए उस विषय से सम्बंधित योग्य व्यक्तियों की चर्चा थी. यह पहली बार था, जब देश को आज़ाद होने के 65 साल बाद देशवासियों को वास्तविक लोकतान्त्रिक सरकार मिली थी. भारत के लोगों को सर्वाधिक ख़ुशी तब हुई, जब देश के जाने माने डॉक्टर और ईमानदार राजनेता की छवि रखने वाले डॉ.शिरीष को देश के स्वास्थ्य-मंत्री की शपथ दिलाई गयी. भारत में वैसे भी स्वास्थ्य की समस्याएं सबसे बड़ी समस्याएं मानी जाती हैं. एक छोटा सा बुखार, कब मियादी बुखार बन जाए और इलाज न हो पाने से कब वह दिमागी बुखार बन कर लाइलाज स्थिति में पहुँच जाता है, यह सम्पूर्ण भारत का बहुत आम दृश्य है. गरीब, मध्यम-वर्ग की उस वक्त सारी दुनिया वीरान हो जाती है, जब उसे पता चलता है कि उसके परिवार में किसी को कैंसर, टीवी, हृदय- रोग जैसी गंभीर बिमारी लगी है. उस परिवार की तो ज़मीन, जायदाद सहित सर्वस्व स्वाहा हो जाता है. महँगी दवाओं, नकली दवाओं, मानव-अंगों का व्यापार जैसे तमाम व्याप्त मुद्दों पर देशहित में स्पष्ट राय रखने वाले डॉ.शिरीष आम जनमानस में काफी लोकप्रिय थे. शपथ- ग्रहण के बाद नकली दवा कारोबारियों पर मंत्रीजी का दबाव बढ़ना शुरू हो गया, साथ ही दवा कारोबार की स्याह और अंजानी दुनिया उनके खिलाफ लामबंद होनी शुरू हो गयी. यही नहीं, देश भर के सरकारी अस्पतालों के डॉक्टर, जिन्हें जनता भगवान मानती है, अपने निजी क्लीनिकों की खातिर वह भी मंत्री जी के खिलाफ लामबंद हो गए. जनता इस टकराव का परिणाम भुगतने लगी और मंत्रिमंडल में डॉ.शिरीष की लोकप्रियता से जलने वाले राजनेता इसी अवसर की फिराक में बैठे थे. आनन- फानन में हड़तालों और बैठकों का दौर चला, प्रधानमंत्री जी के कान भरे गए और अगले दिन अख़बारों की सुर्खियां थीं- डॉ.शिरीष स्वास्थ्य मंत्रालय से बर्खास्त किये गए! देश भर के दवा कारोबारी और सरकारी अस्पताल के डॉक्टर जनता की सेवा में तन मन से जुट गए … धन तो देश की गरीब जनता के पास ज़मीनों में गड़ा ही था!
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